भुजंगासन किसे कहते है ( What is Bhujangasana )
भुजंगासन लेटकर
अपने हाथो के बल अपनी छाती को पीछे की तरह उठाने वाला आसन है | इस आसन को सर्पासन
और सर्पमुद्रा भी कहा जाता है क्योंकि यह आसन सर्प मतलब सांप के फन फेलाने की तरह
होता है | यह आसन बहुत सरल आसन हे | इस आसन के बहुत लाभ है | इसे स्त्री और पुरुष कोई
भी कर सकता है |
भुजंगासन के फायदे ( Benefit of Bhujangasana )
- यह आसन स्त्री और पुरुष दोनों के लिए बहुत लाभकारी है |
- यह गर्दन, छाती, मुँह और सिर को बहुत क्रियाशील बनाता है |
- शरीर के ऊपरी भाग की क्रियाशीलता बढती है |
- यह रीढ़ की हड्डी में लचीलापन लाकर उसके दोषों को दूर करता है |
- पीठ और कंधो को मजबूत बनाता है |
- पीठ दर्द में बहुत फायदा होता है |
- पेट के अनेक रोगों को दूर कर भूख को बढाता है |
- वायुविकार, अपच आदि बीमारियाँ दूर होती है |
- शरीर में थकान से मुक्ति मिलती है |
- मोटापा को खत्म करता है |
- शरीर में खून का संचार बढाता है |
भुजंगासन करने की विधि ( Method of Bhujangasana )
इस आसन को करने के लिए सबसे
पहले पेट के बल फर्स पर सीधे लेट जाएं | अब दोनों हथेलियों को जमीन पर इस तरह जमाये कि वे कंधो के किनारे के ठीक
नीचे रहें | दोनों हाथो की उंगलियाँ मिली रहे तथा उनके आगे
के भाग कन्धों की रेखाओं के किनारे रहने चाहिए | दोनों
कुहनियां मुड़ी हुई तथा शरीर के बीच के भाग को छुती रहनी चाहिए | अब अपने पेरो की एडियों को आपस में मिलाये और उनके अंगूठो को फर्स पर सीधे
रखते हुए, सर को सीधा कर, ठोड़ी को जमीन
पर रखे | फिर गर्दन और सिर को पीछे की ओर झुकाना शुरु करे और
सांस लेते हुए छाती को ऊपर की ओर उठाये | पेट को जमीन पर और
उसके एकदम पास ही रखना चाहिए | दोनों पैर पूरी तरह सक्त बने
रहने चाहिए | फिर ऊपर की ओर देखते हुए साँस को रोखे रहें, शरीर
को कड़ा बनाये रखे और दोनों कुहनियाँ मुड़ी हुई और धड़ के पास रहें | इस अवस्था में 6 से 8 सेकंड तक रहें | फिर
धीरे – धीरे सांस को छोड़ते हुए सिर को जमीन की तरफ झुकाना
शुरु करे | जब सिर और छाती को जमीन की तरफ झुका रहे होते है तब तक साँस छोड़ने की क्रिया भी
पूरी हो जानी चाहिए | साँस छोडते हुए पहले की तरह उल्टा लोटते
समय शरीर को ढीला छोड़ दे | फिर इसके बाद 6 से 8 सेकंड तक आराम करना चाहिए | इसी तरह हर चक्र को पूरा
कर आराम लेते हुए इस अभ्यास को पांच बार तक किया जा सकता है |
भुजंगासन के लिए सावधानी ( Precaution for Bhujangasana )
- गर्ववती महिलाओं को यह आसन नहीं करना चाहिए |
- इस आसन खाली पेट ही करे |
- खाना खाने के बाद इस आसन को नहीं करना चाहिए |
- पेट में दर्द होने पर इस आसन को न करें |
- अगर पेट मी कोई गंभीर रोग हो तो भी इस आसन को न करे |
- अपने शरीर की क्षमता के अनुसार ही इस आसन को करे |
भुजंगासन के लिए विशेष बातें (Important topic for Bhujangasana)
इस
आसन को करते समय कुछ लोग कोहनियों को ऊपर उठाते हुए पीछे फेले दोनों पैरो के पंजो
को जमीन पर नहीं सटाते है और केवल पैरो की उगलियों को ही जमीन पर सताए रखते है |
यह तरीका गलत है, इस आसन को करते समय पैरोके पंजे जितना हो सके उतना जमीं पर सटाने
की कोशिश करनी चाहिए |
No comments:
Post a Comment